हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम की धारा 20 के तहत गुजारा भत्ते का दावा कर सकती है और एक फैमिली कोर्ट उक्त अधिनियम की धारा 20 के तहत उसके अधिकार को लागू करके बालिग होने के बाद भी अविवाहित बेटी को गुजारा भत्ता दे सकती है.

BOMBEY HIGH COURT : दंड प्रक्रिया संहिता (Cr.P.C.) की धारा 125 के तहत बेटियों को दिया जाने वाला गुजारा भत्ता उनके बालिग होने की उम्र (18 वर्ष) से आगे जारी नहीं रखा जा सकता. बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह तभी संभव है जब बेटी किसी शारीरिक या मानसिक असामान्यता या चोट के कारण खुद का भरण-पोषण करने में असमर्थ हो.
क्या कहा कोर्ट ने : एक पिता द्वारा दायर पुनरीक्षण आवेदन को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया. मामले पर कोर्ट ने पिता की देनदारी को उसकी दो बेटियों के 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक सीमित कर दिया.
क्या था मामला : भरण पोषण के मामले में फैमिली कोर्ट ने याचिका में आवेदक को उसकी दो बेटियों (हाईकोर्ट में आवेदन के समय 17 और 15 वर्ष की आयु) को गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था. आदेश में आवेदक को प्रति माह प्रत्येक बेटी को आदेश की तारीख से लेकर उनकी शादी होने या कमाई शुरू करने, जो भी पहले हो, तक भुगतान करने का निर्देश दिया था. इसी मामले पर पिता ने पारित एक फैसले और आदेश के खिलाफ आपराधिक पुनरीक्षण दायर की. आवेदक का कहना था कि वह लड़की के बालिक होने पर भी गुज़ारा भत्ता देता है.
क्या आदेश दिया हाई कोर्ट ने : मामले पर हाईकोर्ट ने अभिलाषा बनाम प्रकाश और अन्य (2021) 13 SCC 99) मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित कानूनी स्थिति का भी उल्लेख किया. कोर्ट ने पाया कि सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि एक अविवाहित बेटी हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम की धारा 20 के तहत गुजारा भत्ते का दावा कर सकती है और एक फैमिली कोर्ट उक्त अधिनियम की धारा 20 के तहत उसके अधिकार को लागू करके बालिग होने के बाद भी अविवाहित बेटी को गुजारा भत्ता दे सकती है.
हाईकोर्ट ने निष्कर्ष निकाला Cr.P.C. की धारा 125 (c) के प्रावधानों पर विचार करने के बाद, फैमिली कोर्ट द्वारा बालिग होने के बाद और गैर-आवेदक नंबर 2 और 3 की शादी होने तक गुजारा भत्ता देने के आदेश को संशोधित करने की आवश्यकता है. आपराधिक पुनरीक्षण आवेदन को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए, कोर्ट ने अपना अंतिम आदेश पारित किया फैमिली कोर्ट द्वारा पारित आदेश को इस हद तक संशोधित किया जाता है कि गैर-आवेदक नंबर 2 और 3 को दिया जाने वाला गुजारा भत्ता उनके बालिग होने तक जारी रहेगा.



