भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धाराओं 64, 351, 351(1), 351(2), और 64(2) (m) के साथ-साथ POCSO अधिनियम की धाराओं 4 और 6 के तहत मामला दर्ज किया गया.

BOMBEY HC: यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 के तहत आरोपी एक आवेदक को जमानत दी, आपको बताते चले बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने भारतीय न्याय संहिता, 2023, और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 के तहत आरोपी को जमानत दी.
क्या था आरोप : शिकायतकर्ता ने बताया कि उनकी 14 साल और 3 महीने की बेटी के 26 सितंबर, 2024 को गर्भवती होने का पता चला. अस्पताल ले जाने पर, पीड़िता ने खुलासा किया कि आवेदक ने उसे अपने घर बुलाया और दो मौकों पर उसके साथ गंभीर यौन उत्पीड़न किया. जिसके बाद ही भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धाराओं 64, 351, 351(1), 351(2), और 64(2) (m) के साथ-साथ POCSO अधिनियम की धाराओं 4 और 6 के तहत मामला दर्ज किया गया.
क्या कहा अदालत ने : चार्जशीट और पीड़िता के बयान का अवलोकन करने के बाद अदालत ने नोट किया कि घटना का खुलासा होने से छह-सात महीने पहले हुई थी. इसका पता तब चला जब पीड़िता को मासिक धर्म नहीं हुआ. अदालत ने कहा तब तक कथित घटना के बारे में आवेदक और पीड़ित बच्चे को छोड़कर किसी को भी पता नहीं था. अदालत ने विश्लेषण का समापन करते हुए, फैसले में कहा गया है, यह दो युवा व्यक्तियों के बीच प्रेम का मामला है. इन सभी पहलुओं पर विचार करते हुए, आवेदन को स्वीकार किए जाने योग्य है, क्योंकि आवेदक की समाज में जड़ें हैं और वह मुकदमे से भागेगा नहीं, साथ ही इस सिद्धांत पर भी कि ‘जमानत नियम है और जेल अपवाद है, कुछ शर्तों पर.
हालांकि की आवेदक की तरफ से दलील दी गयी की जन्मतिथि 1 जून, 2006 है। उन्होंने तर्क दिया कि 3 सितंबर, 2024 को हुई कथित घटना के समय, आवेदक की आयु 18 वर्ष से कम थी. वकील ने आगे कहा कि आवेदक की समाज में जड़ें हैं, वह फरार नहीं होगा, और मुकदमे में काफी समय लगेगा.


