गुजरात हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका इसलिए ख़ारिज कर दी थी क्योंकि कोर्ट का मानना था कि अगर उन्हें रिहा किया गया तो अभियोजन पक्ष के मामले को नुकसान पहुंचेगा.

MAHESH LANGA JOURNALIST : देश की सुप्रीम न्यायालय ने सोमवार को पत्रकार महेश लांगा की जमानत याचिका पर गुजरात सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा है. आपको बता दें वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में यह जवाब माँगा गया है. गुजरात हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका इसलिए ख़ारिज कर दी थी क्योंकि कोर्ट का मानना था कि अगर उन्हें रिहा किया गया तो अभियोजन पक्ष के मामले को नुकसान पहुंचेगा.
पीठ ने उठाया कई सवाल : पीठ ने लांगा की पत्रकारिता पर उठाये कई सवाल कोर्ट ने कहा ये किस तरह के पत्रकार हैं? पूरे सम्मान के साथ, कुछ बेहद ईमानदार पत्रकार होते हैं, लेकिन कुछ लोग हैं जो स्कूटर पर बैठकर खुद को ‘पत्रकार’ कहते हैं और सब जानते हैं कि वे वास्तव में क्या करते हैं.
क्या कहते हैं वकील कपिल सिब्बल : ये सब केवल आरोप हैं, एक एफआईआर में उन्हें अग्रिम जमानत मिलती है, फिर दूसरी एफआईआर दर्ज होती है और उसमें भी जमानत मिलती है, अब तीसरी एफआईआर आयकर चोरी को लेकर दर्ज की गई है. इसी को लेकर पीठ ने नोटिस जारी करते हुए गुजरात सरकार और ईडी से जवाब मांगा है.
कौन हैं महेश लांगा : महेश लांगा अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ के लिए गुजरात में संवाददाता हैं. गिरफ्तारी के बाद उन्हें अहमदाबाद की प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) अदालत में पेश किया गया था. अहमदाबाद के उप पुलिस आयुक्त लांगा और अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के आरोप में दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी और जाँच में पाया कि अहमदाबाद के सैटेलाइट पुलिस थाने द्वारा महेशभाई लांगा के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक गबन, आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी और संबंधित व्यक्तियों को लाखों रुपये का गलत नुकसान पहुंचाने के आरोप में एक अन्य एफआईआर दर्ज की गई थी.