कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि क्या वोटिंग के बाद वोटर्स को VVPAT से निकली पर्ची नहीं दी जा सकती है? चुनाव आयोग ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा कि वोटर्स को VVPAT स्लिप देने में बहुत बड़ा रिस्क है, इससे वोट की गोपनीयता से समझौता होगा.

SC AND VVPAT: EVM के वोटों और VVPAT पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग को लेकर लगबग 5 घंटे सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनवाई की.
पेश हुए वकील : याचिकाकर्ताओं की तरफ से तीन एडवोकेट यानी प्रशांत भूषण, गोपाल शंकरनारायण और संजय हेगड़े पैरवी कर रहे थे, इन्हीं में से एक वकील प्रशांत भूषण ADR की तरफ से पेश हुए थे, केंद्र सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता रख रहे थे और चुनाव आयोग की ओर से एडवोकेट मनिंदर सिंह पक्ष रख रहे थे.
प्रशांत भूषण ने रिपोर्ट की पेश : प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमे केरल में मॉक पोलिंग का उल्लेख था और इसमें यह आरोप था कि केरल में मॉक पोलिंग के दौरान भाजपा को ज्यादा वोट जा रहे थे.
प्रशांत भूषण की रिपोर्ट पर कोर्ट ने पूछा : भूषण की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह से पूछा कि ये कितना सही है? चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि ये खबरें झूठी और बेबुनियाद है, फिर कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि क्या वोटिंग के बाद वोटर्स को VVPAT से निकली पर्ची नहीं दी जा सकती है? चुनाव आयोग ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा कि वोटर्स को VVPAT स्लिप देने में बहुत बड़ा रिस्क है, इससे वोट की गोपनीयता से समझौता होगा और बूथ के बाहर इसका दुरुपयोग किया जा सकता है.
कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित : 5 घंटे की तमाम बहसों के साथ कोर्ट ने हर पहलू को जानने की कोशिश की कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील से EVM और VVPAT की पूरी प्रक्रिया समझी और कोर्ट ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता कायम रहनी चाहिए, शक नहीं होना चाहिए कि ये होना चाहिए था और हुआ नहीं, इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया.