मुख्य न्यायाधीश एक सुनवाई के वक़्त कहते हैं, इतने लंबे समय के बाद केस पर दोबारा सुनवाई हो तो पिछली सुनवाई के दौरान रखी गई मौखिक दलीलें मायने नहीं रखतीं, यह टिप्पणी केस पर बिना फैसला सुनाये न्यायाधीशो द्वारा रिज़र्व रखने पर की गयी.

CJI: सोमवार यानी 8 अप्रैल को एक मामले की सुनवाई करते हुए, CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जज बिना फैसला सुनाए किसी केस को 10 महीनों से ज्यादा समय तक रिजर्व रखते हैं, यह चिंता का विषय है. आपको बताते चले भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने अदालती मामलों को महीनों रिजर्व रखने के जजों के रवैये पर नाराजगी जताई है.
क्या कहते हैं चंद्रचूड़ : मुख्य न्यायाधीश एक सुनवाई के वक़्त कहते हैं, इतने लंबे समय के बाद केस पर दोबारा सुनवाई हो तो पिछली सुनवाई के दौरान रखी गई मौखिक दलीलें मायने नहीं रखतीं. जज भी कई बातें भूल जाते हैं, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि उन्होंने इस मामले को लेकर सभी हाईकोर्ट को लेटर लिखा है. आगे भारत के मुख्य न्यायाधीश कहते हैं कि लेटर के बाद मैंने देखा कि कई जज केवल मामलों को डी-रिजर्व करते हैं, लिस्टिंग करते हैं और फिर आंशिक सुनवाई करते हैं, हमें उम्मीद है कि देश के अधिकतर हाईकोर्ट में यह चलन नहीं है.