मद्रास हाईकोर्ट ने सहायक पुलिस आयुक्त, वेपेरी रेंज द्वारा पारित एक आदेश को रद्द कर दिया हैं और आपको बताते चले मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु डेवलपमेंट फाउंडेशन ट्रस्ट के बैंक खाते को डी-फ्रीज करने का आदेश भी दिया हैं.
MADRAS HIGH COURT : मद्रास हाईकोर्ट ने सहायक पुलिस आयुक्त, वेपेरी रेंज द्वारा पारित एक आदेश को रद्द कर दिया हैं और आपको बताते चले मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु डेवलपमेंट फाउंडेशन ट्रस्ट के बैंक खाते को डी-फ्रीज करने का आदेश भी दिया हैं, क्यूंकि ट्रस्ट के खाते को जांच किए बिना गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत फ्रीज कर दिया गया था.
क्या कहा पीठ ने : जस्टिस एमएस रमेश और जस्टिस सुंदर मोहन की खंडपीठ ने कहा कि प्रतिबंधात्मक आदेश पारित करते हुए यूएपीए की धारा 7(1) के अनुसार, जांच की जानी थी. कोर्ट कहता हैं कि मौजूदा मामले में ऐसी कोई जांच नहीं की गई. इस प्रकार, कोर्ट ने आदेश को संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन पाया.
क्या कहता हैं कोर्ट : “जब धारा 7 (1) एक निषेधाज्ञा पारित करने से पहले जांच करने के लिए अनिवार्य करती है, जो कि वर्तमान मामले में आयोजित नहीं किया गया है, तो परिणामी आदेश भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन होगा, इसके अलावा प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन भी होगा. इस एकमात्र आधार पर, आक्षेपित आदेश कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं हो सकता है, “
कोर्ट कहता हैं कि यूएपीए की धारा 7 (1) के अनुसार, केंद्र सरकार एक निषेधात्मक आदेश पारित कर सकती है, यदि यह व्यक्तिपरक संतुष्टि के लिए आता है कि कोई व्यक्ति धन के साथ गैरकानूनी संबंध में सहायता करता है.