विद्यार्थी परिषद् का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय पुनर्निर्माण है. जिस दिन से इस संगठन की स्थापना हुई उसी दिन से इस संगठन ने छात्र हित और राष्ट्र हित से जुड़े प्रश्नों को प्रमुखता से उठाया है और देशव्यापी आंदोलनों का नेतृत्व किया है.

ABVP : ABVP नाम जो काफी चर्चाओं में रहता जिसे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नाम से जाना जाता हैं. बहुत से लोगो के मन में ये सवाल अक्सर उठते नज़र आते हैं आखिर ये संगठन किस लिए काम करता हैं तो आज हम इसी पर बात करने वाले हैं. यह भारत का एक छात्र संगठन है. इसकी स्थापना 9 जुलाई, 1949 को संघ कार्यकर्ता बलराज मधोक जी की अगुआई में की गयी थी.
कौन था पहला मुख्य कार्यवाहक : आपको बताते चले छात्रों के हित के लिए कार्य करने वाली इस संस्था में मुंबई के प्रोफेसर यशवन्तराव केलकर इसके मुख्य कार्यवाहक बने थे. इस विद्यार्थी परिषद का नारा है, ज्ञान, शील और एकता, परिषद की विशेषता मानी जाती है. इसे विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन भी माना जाता हैं.
क्या हैं विचारधारा : यह संगठन छात्रों से प्रारंभ होता छात्रों की समस्याओं के निवारण हेतु एक एकत्र छात्र शक्ति का परिचायक माना जाता है. छात्र हित के लिए काम करने वाला यह विद्यार्थी परिषद् के अनुसार, छात्रशक्ति ही राष्ट्रशक्ति होती है. विद्यार्थी परिषद् का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय पुनर्निर्माण है. जिस दिन से इस संगठन की स्थापना हुई उसी दिन से ये छात्र हित और राष्ट्र हित से जुड़े प्रश्नों को प्रमुखता से उठाया है और देशव्यापी आंदोलनों का नेतृत्व किया है.
इसके अलावा यह छात्र संगठन अलगाववाद, अल्पसंख्यक तुष्टीकरण, आतंकवाद और भ्रष्टाचार जैसी राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के खिलाफ यह संगठन लगातार संघर्षरत रहा हैं. बिहार में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नाम सबसे अधिक रक्तदान करने का कीर्तिमान है. ABVP निर्धन मेधावी छात्र, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिय़े निजी कोचिंग संस्थानों में नहीं जा सकते, उनके लिये स्वामी विवेकानंद निःशुल्क शिक्षा शिविर का आयोजन किया जाता है.
कॉलेज में उपस्थित हैं इकाईया : ABVP राष्ट्रवादी छात्रों के इस संगठन की हर वर्ष देशव्यापी सदस्यता होती है. छात्रों के हित के. लिए काम करने वाली यह संस्था की देश के सभी विश्वविद्यालयों और अधिकांश कॉलेजों में परिषद की इकाईयां हैं. मुख्य उद्देश्य में से संगठन का मानना है कि आज का छात्र कल का नागरिक है. हर वर्ष होने वाले प्रांतीय और राष्ट्रीय अधिवेशनों के द्वारा नई कार्यसमिति गठित होती हैं और वर्ष भर के कार्यक्रमों की घोषणा होती है और उस कार्यक्रम के अनुसार सभी उद्देश्यों को साधने की कोशिश की जाती हैं. यह एकमात्र संगठन है जो शैक्षणिक परिवार की अवधारणा में विश्वास रखता है और इसी कारण परिषद के अध्यक्ष पद पर प्रोफेसर हीं चुने जाते हैं. इसकी चार स्तरीय इकाईयां होती है. पहली कॉलेज इकाई, दूसरी नगर इकाई, तीसरी प्रांत इकाई और चौथी राष्ट्रीय इकाई.