बाबा साहेब ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में ये शब्द कभी नहीं थे. आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी, न्यायपालिका पंगु हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए.

RSS : एक बार फिर RSS के महासचिव द्वारा दिए बयान पर वॉर पलटवार शुरू हो चुका हैं. दत्तात्रेय होसबाले ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में शामिल किया गया था और इन्हें प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं, इस पर विचार किया जाना चाहिए. जिसके बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी हैं.
क्या कहना था RSS महासचिव का : उन्होंने ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा बाबा साहेब ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में ये शब्द कभी नहीं थे. आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी, न्यायपालिका पंगु हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए.
क्या कहते हैं कांग्रेस नेता जयराम रमेश : इस मामले पर कांग्रेस नेता ने कहा आरएसएस और बीजेपी बार-बार एक नए संविधान की बात करती रही है. यह साल 2024 के नरेंद्र मोदी के लोकसभा चुनाव प्रचार का मुद्दा था. भारत के लोगों ने उनके इस मुद्दे को ठुकरा दिया. इसके बावजूद आरएसएस के इकोसिस्टम से संविधान के बुनियादी स्वरूप को बदलने की मांग जारी है.
क्या कहा प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने : अपने सोशल मीडिया पर लिखती हैं ये आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले हैं. इन्होंने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की मांग की है. आरएसएस और बीजेपी किसी भी कीमत पर संविधान को बदलना क्यों चाहते हैं?