होमटाउन अमरावती के दौरे पर गए थे, जहाँ पर उन्होंने समारोह में बोलते हुए कहा कि संसद के पास संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन वह संविधान के मूल ढांचे…

CJI: भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई एक बार फिर सुर्खियों में हैं, आपको बता दें बुधवार को उन्होंने कहा कि देश का संविधान सर्वोपरी है. वह कहते हैं कि हमारे लोकतंत्र के तीनों अंग संविधान के अधीन काम करते हैं.
अपने होम टाउन पहुँचे CJI : CJI अपने होमटाउन अमरावती के दौरे पर गए थे, जहाँ पर उन्होंने समारोह में बोलते हुए कहा कि संसद के पास संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन वह संविधान के मूल ढांचे को बदल नहीं सकती. वह कहते है कि हमेशा इस बात पर चर्चा होती है कि लोकतंत्र का कौन-सा अंग सर्वोच्च है- कार्यपालिका, विधायिका या न्यायपालिका? कई लोग मानते और कहते हैं कि संसद सर्वोच्च है, लेकिन मेरे हिसाब से भारत का संविधान सर्वोच्च है.
क्यों समारोह में बोले शब्द की चर्चा : दरअसल इसको कही न कही उपराष्ट्रपति के दिए गए बयान से जोड़ कर देखा जाने लगा हैं, उपराष्ट्रपति ने कहा था अदालते राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं. संविधान का आर्टिकल 142 के तहत अदालत को मिला विशेष अधिकार लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ 24×7 उपलब्ध न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है. जज सुपर संसद की तरह काम कर रहे हैं. हमारे पास ऐसे न्यायाधीश हैं जो कानून बनाएंगे. जो सुपर संसद के रूप में भी काम करेंगे. उनकी कोई जवाबदेहीं नहीं होगी, क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता है. जिसके बाद जवाबी कार्यवाही में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कानूनन न तो संसद सर्वोच्च है और न ही कार्यपालिका. संविधान सर्वोच्च है. संविधान के प्रावधानों की व्याख्या सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जाती है. इस देश ने अब तक कानून को इसी तरह समझा है. जिसके बाद ही चर्चाओं का दौर शुरू हो गया था. CJI गवई द्वारा दिया गया बयान कही न कही इन बयानों से जोड़ कर देखा जाने लगा हैं.