स्थापना अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के अंतर्गत की गई है. इसका मुख्य काम भारत में विधिक शिक्षा एवं विधिक व्यवसाय को नियंत्रित करना है तथा अधिवक्ताओं पर अनुशासनात्मक प्राधिकार का भी प्रयोग करता है.

BCI : अक्सर मन में सवाल बने रहते हैं भारत में अधिवताओ पर कौन से नियम लागू होते हैं या उनके ऊपर एक्शन लेने वाली कौन सी संस्था हैं या उनपर कौन से कानून लागू होते है. आज हम इसी टॉपिक पर बात करने वाले हैं कैसे बानी BCI व कैसे करती हैं काम. आपको बता दें भारतीय विधिज्ञ परिषद (BCI) एक सांविधिक एवं स्वायत्त निकाय है, जिसकी स्थापना अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के अंतर्गत की गई है. इसका मुख्य काम भारत में विधिक शिक्षा एवं विधिक व्यवसाय को नियंत्रित करना है तथा अधिवक्ताओं पर अनुशासनात्मक प्राधिकार का भी प्रयोग करता है.
कैसे बनी संस्था : 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने के बाद मद्रास में अंतर-विश्वविद्यालय बोर्ड की वार्षिक बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में बोर्ड ने अखिल भारतीय विधिज्ञ परिषद की आवश्यकता और देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों में विधि से संबंधित परीक्षा के लिये उच्च मानकों की वांछनीयता पर ज़ोर देते हुए एक प्रस्ताव पारित किया. 1 अक्टूबर 1950 को मद्रास प्रांतीय अधिवक्ता सम्मेलन की एक बैठक में, मद्रास की विधिज्ञ परिषद ने उस प्रस्ताव को अंगीकृत किया. इस रिपोर्ट की अनुशंसा पर वर्ष 1961 में संसद में एक व्यापक विधेयक प्रस्तुत किया गया, जिसके परिणामस्वरूप अधिवक्ता अधिनियम, 1961 बना. अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के अंतर्गत संसद द्वारा भारतीय विधिज्ञ परिषद की स्थापना की गई थी.
यह संस्था अधिवक्ताओं के अधिकारों, विशेषाधिकारों एवं हितों की रक्षा के साथ ही अधिवक्ताओं के लिये व्यावसायिक आचरण एवं शिष्टाचार के मानक निर्धारित करती है.