आपातकाल की घोषणा के साथ तत्कालीन जनसंघ पर भी संघ के साथ प्रतिबंध लगा दिया गया था और आपातकाल हटने के बाद जनसंघ का विलय जनता पार्टी में हुआ और केन्द्र में मोरारजी देसाई के प्रधानमन्त्रित्व में मिलीजुली सरकार बनी और संघ का महत्त्व लगातार बढ़ता ही चला गया.

RSS : PM मोदी ने RSS के शताब्दी समारोह में बुधवार को कहा, संघ के स्वयंसेवकों ने कभी कटुता नहीं दिखाई. चाहे प्रतिबंध लगे, या साजिश हुई हो. सभी का मंत्र रहा है कि जो अच्छा है, जो कम अच्छा, सब हमारा है. उन्होंने RSS के योगदान को दर्शाने वाला स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी किया. उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक जो लगातार देश सेवा में जुटे हैं. समाज को सशक्त कर रहे हैं, इसकी भी झलक इस डाक टिकट में है. मैं इसके लिए देश को बधाई देता हूं.
क्या कहते हैं PM मोदी : समाज के कई क्षेत्रों में संघ लगातार काम कर रहा है. संघ की एक धारा, बंटती तो गई, लेकिन उनमें कभी विरोधाभास पैदा नहीं हुआ, क्योंकि हर धारा का उद्देश्य, भाव एक ही है, राष्ट्र प्रथम. अपने गठन के बाद से ही RSS विराट उद्देश्य लेकर चला राष्ट्र निर्माण, इसके लिए जो रास्ता चुना। व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण, जो पद्धति चुनी वह थी शाखा. जानकारी के अनुसार इसके तहत 2 अक्टूबर 2025 से 20 अक्टूबर 2026 तक देशभर में सात बड़े कार्यक्रम आयोजित होंगे.
क्या हैं RSS : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम से जानी जाने वाली यह संस्था भारत का एक हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक, स्वयंसेवक संगठन हैं, इस संगठन का प्रारंभिक उद्देश्य हिंदू अनुशासन के माध्यम से चरित्र प्रशिक्षण प्रदान करना था और हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए हिंदू समुदाय को एकजुट करना था व यह संगठन भारतीय संस्कृति और नागरिक समाज के मूल्यों को बनाए रखने के आदर्शों को बढ़ावा देता है और बहुसंख्यक हिंदू समुदाय को मज़बूत करने के लिए हिंदुत्व की विचारधारा का प्रचार करता है. इस संगठन ने संबद्ध संगठनों को जन्म दिया जिसने कई विचारधाराओं, दानों और क्लबों को अपनी वैचारिक मान्यताओं को फैलाने के लिए स्थापित किया.
कब हुई स्थापना : संघ की स्थापना 27 सितंबर सन् 1925 को विजयदशमी के दिन डॉ॰ केशव हेडगेवार द्वारा की गयी थी. आपातकाल की घोषणा के साथ तत्कालीन जनसंघ पर भी संघ के साथ प्रतिबंध लगा दिया गया था और आपातकाल हटने के बाद जनसंघ का विलय जनता पार्टी में हुआ और केन्द्र में मोरारजी देसाई के प्रधानमन्त्रित्व में मिलीजुली सरकार बनी और संघ का महत्त्व लगातार बढ़ता ही चला गया.
जाने संघ की सरचना : संघ में सबसे ऊपर सरसंघचालक का स्थान होता है, जो सर्वोच्च होता और जो पूरे संघ का दिशा-निर्देशन करते हैं. सरसंघचालक की नियुक्ति मनोनयन द्वारा होती है यानी प्रत्येक सरसंघचालक अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करता है. श्री मोहन भागवत वर्तमान में इसी पद पर विराजमान है. अपनी छोटी छोटी शाखाओ से जुड़ने वाला यह संगठन में वर्तमान में पूरे भारत में संघ की लगभग पचपन हजार से ज्यादा शाखा लगती हैं. शाखा की सामान्य गतिविधियों में खेल, योग, वंदना और भारत एवं विश्व के सांस्कृतिक पहलुओं पर बौद्धिक चर्चा-परिचर्चा शामिल है.