अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है. यह अधिवक्ताओं को हिंसा, उत्पीड़न और धमकी से बचाता है, जिससे वे अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से पालन कर सकते हैं. यह कानून अधिवक्ताओं को सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है और उन्हें प्रतिशोध के डर के बिना न्याय करने का अधिकार देता है.

ADVOCATE PROTECTION ACT : बनारस में अधिवक्ताओं के साथ हुए कथित पुलिस दुर्व्यवहार और उत्पीड़न की हालिया घटनाओं पर कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार से उच्च-स्तरीय मजिस्ट्रेटी जांच की मांग की है.
मुख्यमंत्री को लिखा गया पत्र : बनारस में हुए अधिवताओ के साथ हुई घटना को लेकर बार कॉउन्सिल पीछे हटता नहीं दिखाई दें रहा हैं. मामले को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित एक पत्र में, प्रदेश में तत्काल ‘अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम’ लागू करने का आह्वान किया है. यह भी कहा गया हैं कि यदि इन मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो प्रदेशभर के वकील एक बड़ा आंदोलन करने को विवश होंगे.
क्यों ज़रूरी एडवोकेटस प्रोटेक्शन एक्ट : वकीलों पर अक्सर अपने प्रोफेशन के दौरान सुरक्षा पर सवाल उठते रहते हैं. ऐसे में उनके सरक्षण के लिए भी एक मज़बूत कानून की ज़रुरत अब आ पड़ी हैं. अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है. यह अधिवक्ताओं को हिंसा, उत्पीड़न और धमकी से बचाता है, जिससे वे अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से पालन कर सकते हैं. यह कानून अधिवक्ताओं को सुरक्षित वातावरण प्रदान करता है और उन्हें प्रतिशोध के डर के बिना न्याय करने का अधिकार देता है.
अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम की आवश्यकता: यह एक्ट अधिवक्ताओं को हिंसा, उत्पीड़न और धमकी से बचाने के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है. यह कानून अधिवक्ताओं को सुरक्षा प्रदान करके न्याय प्रशासन में आने वाली बाधाओं को कम करता है. अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम वकीलों को प्रतिशोध के डर के बिना न्याय करने का अधिकार देता है, जिससे लोकतांत्रिक शासन और कानून का शासन मजबूत होता है.
अधिवक्ताओं का कहना है कि जिस प्रकार डॉक्टरों के लिए हिंसा और संपत्ति की क्षति रोकथाम अधिनियम 2013 को लागू किया गया है, उसी तरह अधिवक्ताओं के संरक्षण को लेकर कानून लाया जाए. इस कानून में डॉक्टर से मारपीट करने या अस्पताल में तोड़फोड़ करने पर तीन साल कैद और 50 हजार रुपये तक का जुर्माने का प्रावधान है.ये अपराध गैरजमानती भी बनाया गया है.