सपा के अवधेश प्रसाद ने भाजपा के लल्लू सिंह को 54,000 से अधिक मतों से हरा कर विपक्ष के हाथ में झुनझुना दे दिया, जिसको लेकर आज भी बजाता फिर रहा हैं। अवधेश पहले मिल्कीपुर से विधायक थे, लोकसभा चुनाव जीतने के बाद से यह सीट खाली पड़ी हुई हैं।
लोकसभा में बीजेपी के हाथ लगी निराशा के बाद यूपी में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव में राजनीतिक चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका हैं। यूपी उपचुनाव के साथ महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है, जिसमें यूपी की अयोध्या मिल्कीपुर विधानसभा सीट कई मायनो में अहम नज़र आती है। चुनाव आयोग के उपचुनाव टालने के फैसले के बाद मुख्य प्रतिद्वन्दी पार्टी सपा और भाजपा के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका हैं। जिसमें विपक्षी दलों का कहना है कि इस फैसले से सीधे भारतीय जनता पार्टी को ही फायदा होगा। बताते चलें निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश की खाली 10 विधानसभा सीटों में से नौ सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया हैं और छोड़ी गयी एक मिल्कीपुर सीट सबसे ज्यादा चर्चित हो चली हैं। इसी मामले पर चुनाव आयोग का कहना हैं कि उन सीटों पर चुनाव की घोषणा नहीं कर रहा है, जिन पर अदालत में याचिका लंबित है।
आरोप का दौर : उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्ष की भूमिका निभाने वाली समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव को रोकने की कोशिश कर रही है क्योंकि उसे अयोध्या में एक और हार का डर सता रहा है। आपको बता दें राम मंदिर मुद्दे पर जोरदार प्रचार करने के बाद भी भाजपा इसी लोकसभा चुनाव में फैजाबाद निर्वाचन क्षेत्र पर अपना परचम नहीं लहरा पाई थी, जिसमें अयोध्या भी शामिल है। सपा के अवधेश प्रसाद ने भाजपा के लल्लू सिंह को 54,000 से अधिक मतों से हरा कर विपक्ष के हाथ में झुनझुना दे दिया, जिसको लेकर आज भी बजाता फिर रहा हैं। अवधेश पहले मिल्कीपुर से विधायक थे, लोकसभा चुनाव जीतने के बाद से यह सीट खाली पड़ी हुई हैं।
मुख्यमंत्री लेते तैयारियों का जायज़ा : ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए एक प्राण प्रतिष्ठा का भी सवाल उठ खड़ा हो चुका हैं, क्योंकि होने वाले उपचुनाव इस बात की तसदीक करेंगें कि 2027 के विधानसभा चुनाव यूपी की राजनीति को किस ओर ले जायेगी या आने वाली हिन्दुत्व की राजनीति का एजेण्डा कौन तय करेगा या इसका नेता कौन होगा इसीतिए मुख्यमंत्री व्यक्तिगत रूप से उपचुनाव की सभी सीटों का जायजा लेने लगें हैं, ऐसे में सवाल यह भी उठता हैं कि विपक्षी पार्टी द्वारा लगाया जा रहा चुनाव को प्रभावित करने का आरोप कितना कारगर सिद्ध होता हैं, कयास यह भी लगाए जा चुके हैं कि भाजपा होने वाले उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने वाली हैं।
क्यों मिल्कीपुर पर चुनाव की घोषणा नहीं : 2022 के विधानसभा चुनाव में हारने के बाद पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। यह याचिका सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद की जीत को लेकर दाखिल की गयी थी। इसमें कहा गया था कि 2022 विधानसभा चुनाव में मिल्कीपुर सीट से जीते सपा के अवधेश प्रसाद नॉमिनेशन करते समय हलफनामा नोटरी की डेट एक्सपायरी थी। इसके चलते नामांकन कैंसिल होना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालाकि बाबा गोरखनाथ ने कहा हैं कि याचिका जल्द ही वापस ले ली जाएगी क्योंकि अवधेश प्रसाद ने सीट छोड़ दी है और अब वह सांसद हैं।
एक नज़र 2022 के विधानसभा चुनाव पर : यूपी चुनाव 2022 पर नज़र डाले तो गाजियाबाद सदर सीट पर भारतीय जनता पार्टी की मजबूत दावेदारी मानी जाती हैं, मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट राष्ट्रीय लोक दल के हाथ लगी थी, प्रयागराज की फूलपुर विधानसभा सीट से भाजपा ने परचम लहराया था, मिर्जापुर की मझवां विधानसभा सीट एनडीए गठबंधन के तहत निषाद पार्टी के पाले में गई थी, मैनपुरी जिले के तहत करहल विधानसभा सीट से अखिलेश यादव पहली बार विधायक बने थे, संभल की खाली विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का दबदबा माना जाता हैं, अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट को भारतीय जनता पार्टी के गढ़ के रूप में माना जाता है, कटेहरी विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के लालजी वर्मा विधायक थे वही कानपुर के सीसामऊ विधानसभा सीट की बात करें तो यहां से समाजवादी पार्टी उम्मीदवार इरफान सोलंकी ने जीत दर्ज की थी।
क्यों अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट अमह : लोकसभा में अयोध्या से भाजपा को लगी निराशा की भरपाई के लिए इस सीट पर नज़र गड़ाये भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती, विपक्षी गठबन्धन के लिए भी यह सीट कई मायनों अहम हो जाती हैं क्योंकि इस सीट पर पकड़ बनाकर समाजवादी पार्टी भी सत्तापक्ष को आईना दिखाना चाहती हैं। फिलहाल मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर चुनाव आयोग की तरफ से उपचुनाव की कोई सूचना नहीं दी गई है। 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में प्रभु रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या सीट पर भाजपा की हार ने सपा को हमले का मौका दे दिया। सपा ने यहां से दलित नेता अवधेश प्रसाद को चुनावी मैदान में उतारा और फैजाबाद लोकसभा सीट से जीत दर्ज करने वाले अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर विधानसभा सीट से यूपी चुनाव 2022 में विधायक चुने गए थे। अब देखने वाली बात यह होगी की जब भी इस सीट पर चुनाव की घोषणा होगी तो बाज़ी कौन मारेगा।
बटेंगे तो कटेंगे की राजनीति : उपचुनाव से पहले हालही में एक नारे की गूंज पूरे देश में सुनाई देने लगी, बटेंगे तो कटेंगे, तो सवाल यह लाज़मी हैं कि चुनाव के इस मौसम में इस तरह के नारे की क्या जरूरत कहीं इस नारे के बल पर ही चुनाव जीतने की तैयारी तो नहीं या आने वाले उत्तर प्रदेश के 2027 विधानसभा चुनाव भी इसी नारे के बल पर लड़ने की तैयारी है या यूं कहें 2029 का लोकसभा चुनाव भी इन्हीं बुनियादों के साथ लड़ा जायेगा, इस तरह के तमाम सवालिया निशान राजनीतिक विशेषज्ञों के लिए गुत्थी से बन गये हैं, चलिए समझेंगे इन्हीं सवालों को, देश की आज़ादी में एक साथ लाठी-डण्डा खाने व एकता के साथ जेलों में गुजर बसर करने वाले भारतीय नागरिको के मन में ऐसी कौन सी फूट पड़ने लगी कि इस तरह के नारे की आवश्यकता आ पड़ी, आज़ादी के बाद कई पार्टियों ने सत्ता की बागडोर संभाली चाहें वह मिली जुलि सरकारे ही क्यों न हो अगर किसी भी पार्टी ने बांटने की बात नहीं करी तो, अब ऐसा क्या कारण आ पड़ा कि इन राजनीतिक पार्टियों को बटने का डर सताने लगा हैं या इस तरह के नारे की आवश्यकता पड़ने लगी हैं। सभी राजनीतिक पार्टियों को यह बात स्वीकार करनी पड़ेगी कि यह बहुसंस्कृतिक देश न बटा हैं और न कभी बटेगा, यहां हर घर में दीपावली भी मनाई जाती हैं और ईद भी।