आज केवल भारत की परंपरा नहीं, बल्कि वैश्विक चेतना का हिस्सा बन चुका है. विश्व के अनेक देशों में योग को जीवन के मूल्यों के रूप में अपनाया जा रहा है. यह न केवल तनाव मुक्त जीवन देता है.

KMC : ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन “योग: संस्कृति, चेतना और संवाद की वैश्विक भाषा” विषय पर वक्ताओं ने रखे विचार.
लखनऊ, सोमवार ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना एवं शारीरिक शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में “योग: संस्कृति, चेतना और संवाद की वैश्विक भाषा” विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया.
कुलपति के मार्गदर्शन से हुआ संपन्न : यह आयोजन माननीय कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल के दिशा निर्देशन तथा माननीय कुलपति प्रो.अजय तनेजा के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ. वेबीनार का आयोजन डॉ. नलिनी मिश्रा, समन्वयक, राष्ट्रीय सेवा योजना तथा डॉ मोहम्मद शारिक, प्रभारी, शारीरिक शिक्षा विभाग द्वारा किया गया.
क्या कहा प्रो. अजय तनेजा ने : वेबिनार का उद्घाटन करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने योग की संवाद शक्ति पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि, योग मौन, चेतना और शांति की भाषा बोलता है. यह वह भाषा है जो शब्दों की आवश्यकता नहीं रखती, बल्कि अनुभव के माध्यम से स्वयं को अभिव्यक्त करती है. योग विश्व में एक ऐसा माध्यम बनकर उभरा है जो विज्ञान और अध्यात्म, स्वास्थ्य और सामंजस्य को जोड़ता है. आज, जब मानवता अर्थ, उपचार और जुड़ाव की तलाश में है, योग वैश्विक संवाद का आधार बन सकता है.

डॉ मंजू सिंह ने कहा : मुख्य अतिथि डॉ. मंजू सिंह, विशेष कार्याधिकारी एवं राज्य संपर्क अधिकारी, राष्ट्रीय सेवा योजना, उत्तर प्रदेश सरकार, ने युवाओं के जीवन में योग की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, आज का युवा मानसिक और सामाजिक चुनौतियों से घिरा है. योग उसे न केवल शारीरिक स्वास्थ्य देता है, बल्कि मानसिक स्पष्टता और आत्मिक ऊर्जा भी प्रदान करता है. राष्ट्रीय सेवा योजना स्वयंसेवक योग के इस संदेश को गाँव-गाँव और शहर-शहर तक पहुँचा सकते हैं. योग को जीवनशैली बनाना आज की जरूरत है.
मुख्य वक्ता डॉ. शिवम मिश्रा, निदेशक, एस.के.एम. योग, वियतनाम, ने अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में योग के प्रभाव की चर्चा करते हुए कहा कि, योग आज केवल भारत की परंपरा नहीं, बल्कि वैश्विक चेतना का हिस्सा बन चुका है. विश्व के अनेक देशों में योग को जीवन के मूल्यों के रूप में अपनाया जा रहा है. यह न केवल तनाव मुक्त जीवन देता है, बल्कि मानवता को जोड़ने वाला सेतु भी है.
विशेष आमंत्रित वक्ता डॉ. अमरजीत यादव, योगाचार्य, लखनऊ विश्वविद्यालय, ने योग के शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक पक्ष को उजागर करते हुए कहा कि, योग केवल शरीर को लचीला बनाने की विधि नहीं, बल्कि आत्मा को जाग्रत करने का माध्यम है. यह सम्पूर्ण स्वास्थ्य की कुंजी है. एक योगी जीवन में स्थिरता, सहजता और संतुलन लाकर समाज में भी वही गुण स्थापित कर सकता है.
इस अवसर पर देश-विदेश के अनेक शिक्षाविदों, योग साधकों, और विद्यार्थियों ने भाग लिया. सत्रों का संचालन डॉ. नलिनी मिश्रा, समन्वयक, राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा किया गया और अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मोहम्मद शरिक, शारीरिक शिक्षा विभाग द्वारा किया गया.