अमृत की बूंदें हरिद्वार के ब्रह्म कुंड में गिरी थीं. उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे मेला लगता है. नासिक में गोदावरी नदी के तट पर कुंभ मेला आयोजित होता है.

MAHAKUMBH 2025: 2025 के महाकुंभ पर लोगो के हुजूम ने विश्व रिकॉर्ड बना डाला 45 दिनों में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचे, जो एक इतिहास बन गया है. किसी भी धार्मिक हुज़ूम में यह संख्या एक सबसे बड़ी मानी जा रही है. वही कुंभ 2019 में आने वाले लोगो की बात करे तो उस समय 25 करोड़ श्रद्धालु आए थे.
क्यों लगता हैं कुंभ : पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवता और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था. मंथन के दौरान अमृत का एक कलश (कुंभ) निकला, जिसे असुरों से बचाने के लिए देवता भागे. भागने के दौरान अमृत की कुछ बूंदें चार स्थानों हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में गिर गईं. इसलिए, तब से इन स्थानों को पवित्र माना गया और इन पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाने लगा. अमृत की बूंदें हरिद्वार के ब्रह्म कुंड में गिरी थीं. उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे मेला लगता है. नासिक में गोदावरी नदी के तट पर कुंभ मेला आयोजित होता है.