परिषद में और सदस्यों को शामिल करके ही इसे 21वीं के लायक बनाया जा सकता है. हमें यह समझने की जरूरत है कि अभी जो देश UNSC के स्थायी सदस्य हैं उनका चुनाव 20वीं सदी की राजनीति के आधार पर हुआ था. लेकिन अब समय बदल गया है.
UNITED NATION : भारत ने एक बार फिर UNSC में बदलाव का मुद्दा जोर शोर से उठाया हैं, UN में भारत की परमानेंट प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा ग्लोबल साउथ के देश बिना सीट, बिना अधिकार और बिना आवाज के UNSC में आते हैं, और चले जाते हैं. हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते, UNSC के ज्यादातर स्थायी सदस्य खुद भी यह मानते हैं कि परिषद में और सदस्यों को शामिल करके ही इसे 21वीं के लायक बनाया जा सकता है. हमें यह समझने की जरूरत है कि अभी जो देश UNSC के स्थायी सदस्य हैं उनका चुनाव 20वीं सदी की राजनीति के आधार पर हुआ था. लेकिन अब समय बदल गया है.
रुचिरा ने UFC पर उठाये सवाल : अब परिषद में स्थायी सदस्यों के कॉन्सेप्ट को नया लॉजिक देने के लिए इसमें बदलाव करना होगा. स्थायी सदस्यों की सूची में नए देशों का नाम जोड़कर ही काउंसिल को कारगर बनाया जा सकता है. इसके अलावा भारत ने UNSC में सुधार के लिए पेश किए गए यूनाइटिंग फॉर कनसेंसस (UFC) मॉडल पर सवाल उठाए.
क्या हैं UFC: UFC में 12 देश शामिल हैं और 2 ऑब्जर्वर हैं, इस समूह में चीन भी शामिल है, आपको बताते चले यह ग्रुप UNSC में बदलाव का विरोध करता रहा है. इसी को लेकर भारत ने कहा कि यह मॉडल अफ्रीका, लेटिन अमेरिका के देशों और एशिया का प्रतिनिधित्व नहीं करता.
आगे रुचिरा कंबोज ने कहा: कंबोज़ ने कहा कि अफ्रीका 54 देशों का समूह है और वो खुद UNSC के विस्तार की मांग करता है. UNSC में वीटो के आधार पर काम नहीं किया जाता. लेकिन UFC मॉडल परिषद में सुधार की पूरी प्रक्रिया पर वीटो लगाने का काम कर रहा है.
सुधार की विस्तृत योजना पेश कर चुका हैं भारत: हॉलहि में रुचिरा कंबोज ‘इंटरगवर्नमेंटल नेगोसिसएशन ऑन सिक्योरिटी काउंसिल रिफॉर्म’ कार्यक्रम में शामिल हुईं थी, रुचिरा कंबोज ने जी4 के देशों ब्राजील, जर्मनी, जापान, भारत की तरफ से एक प्रस्ताव पेश किया था, आपको बताते चले इस प्रस्ताव में सुरक्षा परिषद के सदस्यों की संख्या 15 से बढ़ाकर 25-26 करने की सिफारिश की गई थी, साथ ही इसमें छह स्थायी सदस्यों और चार या पांच अस्थायी सदस्यों को शामिल करने की सलाह भारत की ओर से दी गयी थी. भारत ने सुझाव दिया था कि छह नए स्थायी सदस्यों में से दो अफ्रीकी राज्यों और एशिया प्रशांत के देशों, एक लैटिन अमेरिकी देशों और कैरेबियाई देशों और एक पश्चिमी यूरोपीय देशों और अन्य देशों की तरफ से प्रस्तावित किया जाना चाहिए.