POCSO अधिनियम, 2012 और भारतीय दंड संहिता (धारा 375) के तहत अपराध मानना अनुचित है. जयसिंग ने अदालत को बताया कि ऐसे कई मामलों में किशोरों को सहमति के बावजूद अभियोजन का सामना करना पड़ता है, जिससे युवाओं का जीवन प्रभावित होता है.

SC : नाबालिगों के लिए सहमति की वैधानिक आयु से जुड़े मुद्दे पर अब लगातार बहस होने वाली हैं, आपको बता दें 12 नवंबर से लगातार सुनवाई करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने लिया हैं.
क्या कहा कोर्ट ने : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह विषय अत्यंत संवेदनशील है और इसे “टुकड़ों में” नहीं, बल्कि सम्पूर्ण रूप से सुना जाएगा. इस मामले पर कई दिनों तक निरंतर सुनवाई होगी ताकि इससे जुड़े सभी पहलुओं का समग्र समाधान हो सके. वही केंद्र सरकार की बात करें तो सहमति की आयु 18 वर्ष बनाए रखने का जोरदार समर्थन किया.
क्या कहा ASG ने : अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत में कहा कि सहमति की आयु को घटाना या किशोर प्रेम संबंधों के नाम पर अपवाद बनाना कानूनी और सामाजिक रूप से खतरनाक होगा. अगर कानून में ‘करीबी आयु अपवाद’ या सहमति की न्यूनतम आयु घटाई जाती है, तो बाल संरक्षण कानून का मूल आधार ही कमजोर हो जाएगा. यह बदलाव मानव तस्करी और अन्य शोषण के रास्ते खोल देगा.
वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंग ने क्या कहा : वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंग, जो अदालत की मदद कर रही हैं, ने सहमति की आयु को 18 से घटाकर 16 वर्ष करने की मांग की. उन्होंने अपनी लिखित दलीलों में कहा कि 16 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों के बीच आपसी सहमति से बने संबंधों को POCSO अधिनियम, 2012 और भारतीय दंड संहिता (धारा 375) के तहत अपराध मानना अनुचित है. जयसिंग ने अदालत को बताया कि ऐसे कई मामलों में किशोरों को सहमति के बावजूद अभियोजन का सामना करना पड़ता है, जिससे युवाओं का जीवन प्रभावित होता है. फिलहाल के लिए यह मामला 12 नवंबर, 2025 से शुरू होगा और लगातार सुना जायेगा.
क्या हैं POSCO Act : POCSO अधिनियम भारत का एक कानून है जिसका पूरा नाम यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (Protection of Children from Sexual Offences Act) है, जिसे 2012 में लागू किया गया था. यह कानून 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी प्रकार के यौन शोषण और यौन अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है.