पत्नी ने बताया कि उन्होंने पहले की शिकायतें और तलाक याचिकाएं इसलिए वापस ले ली थीं क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि पति में सुधार होगा, लेकिन परिस्थितियाँ और अधिक बिगड़ गईं. इसके चलते उन्हें भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज करानी पड़ी.

KERALA HIGH COURT: केरल हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट, मलप्पुरम द्वारा पत्नी के पक्ष में दिए गए तलाक के फैसले के खिलाफ पति द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया है.
डिवोर्स एक्ट : डिवोर्स एक्ट, 1869 की धारा 10 (1) (x) के तहत दिए गए तलाक के आदेश को उचित ठहराया और माना कि पति ने पत्नी के साथ गंभीर और लगातार क्रूरता का व्यवहार किया था और पति द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया है.
क्या था मामला : ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न हुआ विवाह पत्नी ने फैमिली कोर्ट, मलप्पुरम में क्रूरता के आधार पर तलाक की मांग की थी. जिसमे एक गंभीर मारपीट की घटना भी शामिल थी. पति ने फैमिली कोर्ट द्वारा दिए गए तलाक के आदेश को अवैध बताया और कहा कि उपलब्ध साक्ष्य कानूनी रूप से आवश्यक क्रूरता की कसौटी पर खरे नहीं उतरते. वही पत्नी ने बताया कि उन्होंने पहले की शिकायतें और तलाक याचिकाएं इसलिए वापस ले ली थीं क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि पति में सुधार होगा, लेकिन परिस्थितियाँ और अधिक बिगड़ गईं. इसके चलते उन्हें भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज करानी पड़ी.
क्या कहा कोर्ट ने : एक स्त्री अपने वैवाहिक जीवन और परिवार की रक्षा के लिए क्षमा करती है. यह क्षमा एक निष्क्रिय कृत्य नहीं, बल्कि एक सशक्त और रूपांतरणकारी कार्य है… लेकिन, एक स्त्री कितना सह सकती है, इसकी भी एक सीमा होती है.
हाईकोर्ट ने माना कि डिवोर्स एक्ट, 1869 की धारा 10 (1) (x) के तहत क्रूरता का आधार स्पष्ट रूप से सिद्ध हुआ है और फैमिली कोर्ट द्वारा दिया गया तलाक का आदेश न्यायसंगत है. कोर्ट ने अपील खारिज कर दी और किसी भी पक्ष को लागत नहीं दी. साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया कि पक्षकारों की गोपनीयता बनाए रखने के लिए उनके नामों और पहचान को गुप्त रखा जाए.