जस्टिस नागरत्ना ने हैदराबाद के NALSAR यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ में न्यायालयों और संविधान सम्मेलन का पांचवां संस्करण में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पंजाब के राज्यपाल का जिक्र करते हुए, उन्होंने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों द्वारा पारित विधेयकों पर राज्यपालों को अनिश्चितकाल तक रोक के प्रति आगाह किया.
कौन हैं जस्टिस बीवी नागरत्ना: कौन हैं जस्टिस बीवी नागरत्ना जो राज्यपाल कार्यालय से अपील करती नज़र आ रही हैं, उन्होंने कहा राज्यपालों को संविधान के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए, जिससे इस प्रकार के मुकदमेबाजी अदालत में कम हों. राज्यपालों को किसी काम को करने या न करने के लिए कहना काफी शर्मनाक है. राज्यपालों को संविधान के अनुसार काम करना चाहिए, जिसके बाद जस्टिस नागरत्ना की चर्चा होने लगी हैं, जानेंगे उनके बारे में.
सुप्रीम कोर्ट में जज बनने से पहले जस्टिस नागरत्ना कर्नाटक हाई कोर्ट में जज के पद पर तैनात थीं. उन्होंने 1987 में कर्नाटक हाई कोर्ट में वकालत शुरू की. 23 साल तक वकालत के लम्बे समय के बाद वह बतौर जज की भूमिका संभाली.
2008 में बनी एडिशनल जज : 2008 में हाई कोर्ट में वह अडिशनल जज के रूप में नियुक्त हुई. फरवरी 2010 में जस्टिस नागरत्ना को हाई कोर्ट में स्थायी जज के तौर पर नियुक्त किया गया.
बनेंगी पहली CJI : जस्टिस बीवी नागरत्ना देश की पहली महिला चीफ जस्टिस भी बनेंगी, क्यूंकि वरिष्ठता के हिसाब से सितंबर 2027 में वह भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस बनेंगी.
न्यायाधीश बीवी नागरत्ना उस समय से चर्चाओं में हैं, ज़ब उन्होंने हैदराबाद के NALSAR यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ में न्यायालयों और संविधान सम्मेलन का पांचवां संस्करण में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पंजाब के राज्यपाल का जिक्र करते हुए, उन्होंने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों द्वारा पारित विधेयकों पर राज्यपालों को अनिश्चितकाल तक रोक के प्रति आगाह किया हैं.