संवैधानिक अदालते यानी SC और HC को आमतौर पर अपनी अधीनस्थ अदालतो द्वारा मामले के निपटारे के लिए समय सीमा तय करने से बचना चाहिए, समयसीमा केवल असाधारण परिस्थितियों में ही जारी कर सकते हैं.
SC NEWS: गुरुवार को प्रधान न्यायाधीश की पाँच सदस्यी पीठ जिसमें न्यायमूर्ति एस ओका, जेबी पारदीवाला, पंकज मित्तल और मनोज मिश्रा शामिल, जिसमें यह व्यवस्था की गयी कि दीवानी, आपराधिक मामले में निचली अदालत या उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए, स्थगन आदेश 6 माह के बाद अपने आप रद्द नहीं हो सकते और साथ में यह भी व्यवस्था की गयी कि संवैधानिक अदालते यानी SC और HC को आमतौर पर अपनी अधीनस्थ अदालतो द्वारा मामले के निपटारे के लिए समय सीमा तय करने से बचना चाहिए, समयसीमा केवल असाधारण परिस्थितियों में ही जारी कर सकते हैं.