धनकड़ मामले को लेकर कहते है कि भारत के राष्ट्रपति का पद काफी ऊंचा है. राष्ट्रपति संविधान की रक्षा, संरक्षण और उसे बचाने की शपथ लेते हैं. ये शपथ केवल राष्ट्रपति और राज्यपाल लेते हैं.

VICE PRESIDENT AND KAPIL SIBBAL: उप राष्ट्रपति जगदीप धनकड़ की टिप्पणी के बाद राजनीतिक गलियारों मे चर्चा रुकने का नाम नहीं ले रही है, इसी मामले. को लेकर अब वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल का का बयान भी सामने आया है. उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले को लेकर न्यायपालिका के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं.
क्या कहा उप राष्ट्रपति ने : न्यायपालिका पर सख्त टिप्पणी करते हुए एक प्रोग्राम मे उप राष्ट्रपति धनकड़ ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 142 एक ऐसा परमाणु मिसाइल बन गया है जो लोकतांत्रिक ताक़तों के ख़िलाफ़ न्यायपालिका के पास चौबीसों घंटे मौजूद रहता है. वह आगे कहते है कि देश में ऐसी स्थिति नहीं हो सकती कि आप राष्ट्रपति को निर्देश दें. सुप्रीम कोर्ट को ये अधिकार किसने दिया है और वो किस आधार पर ऐसा कर सकता है. यही नहीं धनकड़ मामले को लेकर कहते है कि भारत के राष्ट्रपति का पद काफी ऊंचा है. राष्ट्रपति संविधान की रक्षा, संरक्षण और उसे बचाने की शपथ लेते हैं. ये शपथ केवल राष्ट्रपति और राज्यपाल लेते हैं. हाल ही में एक फ़ैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया. आख़िर हम कहां जा रहे हैं. देश में हो क्या रहा है? हमें ऐसे मामलों में बेहद संवेदनशील होने की जरूरत है. आपको बताते चले कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने विधेयकों को मंज़ूरी देने के लिए राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए समय सीमा तय करने को कहा था.
जिसका जवाब देते हुए कपिल सिब्बल कहते है : वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पलटवार करते हुए कहा कि धनखड़ को यह मालूम होना चाहिए कि राज्यपाल और राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह-मशविरा के मुताबिक काम करते हैं. उन्होंने कहा कि यह असल में विधायिका की सर्वोच्चता में दखलंदाजी है, ये तो उल्टी बात है. अगर संसद कोई विधेयक पारित कर देती है, तो क्या राष्ट्रपति इसे लागू करने को अनिश्चित काल के लिए टाल सकते हैं? अगर इस पर हस्ताक्षर नहीं भी किए गए, तो क्या किसी को इसके बारे में बात करने का अधिकार नहीं है?