संविधान के तहत जो शक्तियां चुनाव आयोग को मिली है, उसमें उसे कानून के मुताबिक पारदर्शिता से लोकसभा, विधानसभा और अन्य चुनाव कराने का अधिकार हासिल है.
ECI: चुनाव आयोग एक संविधानिक संस्था हैं, जिसका काम निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए हर संभव कदम उठाना हैं, फिर चाहे लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा, आचार संहिता लग जाने के बाद पूरी कमान चुनाव आयोग के पास पहुँच जाती हैं, अगर ध्यान दें तो चुनाव आयोग किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को भी उसके पद से हटाने का काम कर सकता हैं, जैसा वह उचित समझें. फिर भी बहुत से लोगों के मन में यह सवाल बना रहता हैं कि चुनाव आयोग को चुनाव की घोषणा होने के बाद या देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद, चुनाव आयोग को बड़े-बड़े अधिकारियों को हटाने का अधिकार कहां से व कैसे हासिल होता है.
संविधान में दी गयी शक्तियां : चुनाव आयोग का गठन देश के संविधान के तहत किया गया है यानी ये एक संविधानिक संस्था हैं. संविधान के अनुच्छेद 324 में चुनाव आयोग के कार्यों के बारे में लिखा है. इस अनुच्छेद में निष्पक्ष व स्वतंत्र रूप से चुनावों के संचालन और निर्वाचक नामावली का जिक्र किया गया है. संविधान के तहत जो शक्तियां चुनाव आयोग को मिली है, उसमें उसे कानून के मुताबिक पारदर्शिता से लोकसभा, विधानसभा और अन्य चुनाव कराने का अधिकार हासिल है. चुनाव कराने के लिए आयोग लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों के साथ तालमेल बिठाकर काम करता है. इसके साथ चुनाव आयोग कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों की तैनाती करता है. ताकि हिंसा, बूथ कैप्चरिंग और चुनाव में होने वाले भ्रष्टाचार को रोका जा सके. चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की निष्पक्षता को बनाये रखने के लिए हर संभव प्रयास किये जाते हैं, और चुनाव की निष्पक्षता को बनाये रखने के लिए किसी अधिकारी व सरकारी कर्मचारी को हटाने व बदलने का आदेश दें सकता हैं.