यह कहने की आवश्यकता नहीं हैं कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 संविधान की आत्मा हैं, क्यूंकि नागरिक की स्वतंत्रता सर्वोपरि हैं

सुप्रीम कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट ने कहा हैं, अनुच्छेद 21 संविधान की आत्मा हैं और नागरिक की स्वतंत्रता सर्वोपरि हैं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा इससे सम्बंधित मामलो पर शीघ्रता से फैसला नहीं करने से व्यक्ति इस बहुमूल्य अधिकार से वंचित हो जायेगा. अदालत आगे कहती हैं यह कहने की आवश्यकता नहीं हैं कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 संविधान की आत्मा हैं, क्यूंकि नागरिक की स्वतंत्रता सर्वोपरि हैं.
अदालत की यह टिप्पणी तब आयी ज़ब न्यायमूर्ति बी आर गवई व न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने बम्बई हाई कोर्ट ने 29 जनवरी को शीर्ष अदालत के आदेश के बाद महाराष्ट्र में एक पार्षद की हत्या के मुख्य आरोपी अमोल विठ्ठल वाहिले को जमानत दे दी, पीठ ने कहा इस प्रकार स्पष्ट हैं, 29 जनवरी 2024 को इस अदालत के आदेश पारित करने से पहले, हाई कोर्ट ने जमानत याचिका पर गुण दोष के आधार पर फैसला करने के बजाए इसे किसी न किसी आधार पर ख़ारिज कर दिया था, अदालत ने कहा यह कहने की आवश्यकता नहीं हैं कि अनुच्छेद 21 संविधान की आत्मा हैं और नागरिक की स्वतंत्रता सर्वोपरि हैं.