एक लोकतान्त्रिक देश होने के नाते नेता प्रतिपक्ष की अहमियत बढ़ जाती हैं, सत्तापक्ष के काम पर मज़बूत निगरानी करने के साथ लोकतान्त्रिक ढाँचा मज़बूत करने में अहम भूमिका निभाता हैं.

NETA PRATIPAKSH : पिछले 10 साल लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली रही और लोकसभा 2024 में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष की चर्चाओं का दौर शुरू हो गया हैं, आपको बता दे पिछले 10 साल यानी 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद नेता प्रतिपक्ष नहीं तैनात हो सका, इसके लिए क्या कंडीशन्स होती हैं और क्या कारण हैं कि नेता प्रतिपक्ष लोकसभा को नहीं मिल पाया, इस पर चर्चा करेंगे.
केवल दूसरी सबसे बड़ी पार्टी का होना जरूरी नहीं : आपको बता दे विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा ही नेता प्रतिपक्ष नहीं बना सकता और नेता प्रतिपक्ष विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी द्वारा बनाया जाता हैं, पर यहाँ सवाल यह हैं कि चाहे 2014 का चुनाव हो या 2019 का दोनों में कांग्रेस ही विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी थी, उसके बाद भी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष नहीं तैनात हो पाया था, तो इसके लिए बता देते हैं कि कंडीशन्स यह हैं कि कुल लोकसभा यानी 543 सीट का 10 प्रतिशत सीट विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के पास होनी चाहिए, क्यूंकि 2014 में 44 व 2019 में 52 सीट कांग्रेस के पास थी, और नियम के हिसाब से 543 का 10 प्रतिशत 54 सीट होता हैं, और 2014 व 2019 के चुनाव में 10 प्रतिशत सीट कांग्रेस के पास या विपक्ष की किसी भी पार्टी के पास नहीं थी, इसलिए पिछले 10 साल से यह पद खाली था, फिलहाल 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद यह पद भी भरा जाना हैं.
क्यों जरूरी यह पद : एक लोकतान्त्रिक देश होने के नाते नेता प्रतिपक्ष की अहमियत बढ़ जाती हैं, सत्तापक्ष के काम पर मज़बूत निगरानी करने के साथ लोकतान्त्रिक ढाँचा मज़बूत करने में अहम भूमिका निभाता हैं, बता दे नेता प्रतिपक्ष को संसद में आधिकारिक मान्यता प्राप्त होती है. नेता प्रतिपक्ष संसद में विपक्ष का चेहरा होने के साथ-साथ कई अहम कमेटियों में वो शामिल होते हैं.