अब्दुल हमीद सिद्दीकी नाम के व्यक्ति ने एक याचिका डाली थी जिसमे कहा गया था कि वह 2021 में मतांतरण के बिना शादी से पहले तीन साल तक महिला के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में था.

CHATTISGARH HIGH COURT: बच्चे की कस्टडी से जुड़े एक मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को एक कलंक बताया है.
क्या था मामला : अब्दुल हमीद सिद्दीकी नाम के व्यक्ति ने एक याचिका डाली थी जिसमे कहा गया था कि वह 2021 में मतांतरण के बिना शादी से पहले तीन साल तक महिला के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में था. 31 अगस्त, 2021 को उनके रिश्ते से एक बच्चे का जन्म हुआ था और 10 अगस्त, 2023 को महिला और बच्चा दोनों गायब हो गये, बता दे याचिका दाखिल करने वाले व्यक्ति ने उसी साल हेबियस कॉर्पस पिटीशन दाखिल कर महिला को हाई कोर्ट के समक्ष पेश किए जाने की मांग की, हालांकि बच्चे की कस्टडी की मांग करने वाले याचिकाकर्ता की अपील को खारिज कर दिया गया हैं, आपको बता दे दंतेवाड़ा परिवार अदालत ने बच्चे की कस्टडी नहीं दी, जिसके बाद अब्दुल हमीद सिद्दीकी ने हाई कोर्ट में याचिका डाली थी.
खंडपीठ ने बताया कलंक : न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी और न्यायमूर्ति संजय एस अग्रवाल की खंडपीठ ने बताया कि समाज के कुछ संप्रदायों में अपनाया जाने वाला लिव-इन रिलेशनशिप अभी भी भारतीय संस्कृति में एक कलंक है.
क्या कहा महिला ने : हाई कोर्ट को महिला ने बताया कि वह अपनी इच्छा से अपने माता-पिता के साथ रह रही हैं.